ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


मुमुक्षोर्बुद्धिरालम्बमन्तरेण न विद्यते।

निरालम्बैव निष्कामा बुद्धिर्मुक्तस्य सर्वदा।।18.44।।