ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


भृत्यैः पुत्रैः कलत्रैश्च दौहित्रैश्चापि गोत्रजैः।

विहस्य धिक्कृतो योगी न याति विकृतिं मनाक्।।18.55।।