ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


त्वया व्याप्तमिदं विश्वं त्वयि प्रोतं यथार्थतः।

शुद्धबुद्धस्वरूपस्त्वं मा गमः क्षुद्रचित्तताम्।।1.16।।