AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


अनिकेतकुटी परिवारसमं

इह सङ्गविसङ्गविहीनपरम्।

इह बोधविबोधविहीनपरं

किमु रोदिषि मानसि सर्वसमम्।।15।।