AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


गगनाकारनिरन्तरहंस

स्तत्त्वविशुद्धनिरञ्जनहंसः।

एवं कथमिह भिन्नविभिन्नं

बन्धविबन्धविकारविभिन्नम्।।6।।

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