KAPILA GITA

KAPILA GITA


प्रकृतिस्थोऽपि पुरुषो नाज्यते प्राकृतैर्गुणैः।

अविकारादकर्तृत्वान्िनर्गुणत्वाज्जलार्कवत्।।2.9।।