KAPILA GITA

KAPILA GITA


देवहूतिरुवाच

काचित् त्वय्युचिता भक्तिः कीदृशी मम गोचरा।

यया पदं ते निर्वाणमञ्जसान्वाश्नवा अहम्।।1.15।।

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