श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

अर्जुन उवाच

संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि।

यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्िचतम्।।5.1।।

 

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।5.1।। अर्जुन बोले -- हे कृष्ण ! आप कर्मोंका स्वरूपसे त्याग करनेकी और फिर कर्मयोगकी प्रशंसा करते हैं। अतः इन दोनों साधनोंमें जो एक निश्चितरूपसे कल्याणकारक हो, उसको मेरे लिये कहिये।

English Translation By Swami Sivananda

5.1 Arjuna said Renunciation of actions, O Krishna, Thou praisest, and again Yoga. Tell me conclusively that which is the better of the two.