एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप।।4.2।।
श्रीमद् भगवद्गीता
।।4.2।।इस प्रकार क्षत्रियोंकी परम्परासे प्राप्त हुए इस योगको राजर्षियोंने जो कि राजा और ऋषि दोनों थे जाना। हे परंतप ( अब ) वह योग इस मनुष्यलोकमें बहुत कालसे नष्ट हो गया है। अर्थात् उसकी सम्प्रदायपरम्परा टूट गयी है। अपने विपक्षियोंको पर कहते हैं उन्हें जो शौर्यरूप तेजकी किरणोंके द्वारा सूर्यके समान तपता है वह पपातप यानी शत्रुओंको तपानेवाला कहा जाता है।
4.2 एवम् thus, परम्पराप्राप्तम् handed down in regular succession, इमम् this, राजर्षयः the royal sages, विदुः knew, सः this, कालेन by lapse of time, इह here, महता by long, योगः Yoga, नष्टः destroyed, परन्तप O Parantapa.
Commentary:
The royal sages Men who were kings and at the same time sages also, learnt this Yoga.Arjuna could burn or harass his foes, like the sun, by the heat of his valour and power. Hence the name Parantapa.
।।4.2।। हे परंतप ! इस तरह परम्परासे प्राप्त इस कर्मयोग को राजर्षियोंने जाना। परन्तु बहुत समय बीत जानेके कारण वह योग इस मनुष्यलोकमें लुप्तप्राय हो गया।
।।4.2।। इस प्रकार परम्परा से प्राप्त हुये इस योग को राजर्षियों ने जाना, (परन्तु) हे परन्तप ! वह योग बहुत काल (के अन्तराल) से यहाँ (इस लोक में) नष्टप्राय हो गया।।