श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

पिताऽहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।

वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक् साम यजुरेव च।।9.17।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।9.17।।तथा --, मैं ही इस जगत्को उत्पन्न करनेवाला पिता और उसकी जन्मदात्री माता हूँ तथा मैं ही प्राणियोंके कर्मफलका विधान करनेवाला विधाता और पितामह अर्थात् पिताका पिता हूँ तथा जाननेके योग्य? पवित्र करनेवाला? ओंकार? ऋग्वेद? सामवेद और यजुर्वेद सब कुछ मैं ही हूँ।

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

।।9.17।। --,पिता जनयिता अहम् अस्य जगतः? माता जनयित्री? धाता कर्मफलस्य प्राणिभ्यो विधाता? पितामहः पितुः पिता? वेद्यं वेदितव्यम्? पवित्रं पावनम् ओंकारः? ऋक् साम यजुः एव च।।किञ्च --,

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।9.16 -- 9.18।। क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषध मैं हूँ, मन्त्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं हूँ। जाननेयोग्य पवित्र, ओंकार, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ। इस सम्पूर्ण जगत् का पिता, धाता, माता, पितामह, गति, भर्ता, प्रभु, साक्षी, निवास, आश्रय, सुहृद्, उत्पत्ति, प्रलय, स्थान, निधान तथा अविनाशी बीज भी मैं ही हूँ।

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।9.17।। मैं ही इस जगत् का पिता, माता, धाता (धारण करने वाला) और पितामह हूँमैं वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ, पवित्र, ओंकार, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ।।