श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।

युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।1.4।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।1.4।।Sri Sankaracharya did not comment on this sloka.

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

1.4 Sri Sankaracharya did not comment on this sloka. The commentary starts from 2.10.

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।1.4 -- 1.6।। यहाँ (पाण्डवों की सेना में) बड़े-बड़े शूरवीर हैं, जिनके बहुत बड़े-बड़े धनुष हैं तथा जो युद्ध में भीम और अर्जुनके समान हैं। उनमें युयुधान (सात्यकि), राजा विराट और महारथी द्रुपद भी हैं। धृष्टकेतु और चेकितान तथा पराक्रमी काशिराज भी हैं। पुरुजित् और कुन्तिभोज--ये दोनों भाई तथा मनुष्योंमें श्रेष्ठ शैब्य भी हैं। पराक्रमी युधामन्यु और पराक्रमी उत्तमौजा भी हैं। सुभद्रापुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र भी हैं। ये सब-के-सब महारथी हैं।
 

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।1.4।।इस सेना में महान् धनुर्धारी शूर योद्धा है ,  जो युद्ध में भीम और अर्जुन के समान हैं , जैसे --  युयुधान, विराट तथा महारथी राजा द्रुपद।