श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्।

मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।।10.30।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।10.30।।दैत्योंमें अर्थात् दितिके वंशजोंमें मैं प्रह्लाद नामक दैत्य हूँ और कलना -- गणना करनेवालोंमें मैं काल हूँ। पशुओंमें पशुओंका राजा सिंह या व्याघ्र और पक्षियोंमें विनतापुत्र -- गरुड़ मैं हूँ।

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

।।10.30।। --,प्रह्लादो नाम च अस्मि दैत्याना दितिवंश्यानाम्। कालः कलयतां कलनं गणनं कुर्वताम् अहम्। मृगाणां च मृगेन्द्रः सिंहो व्याघ्रो वा अहम्। वैनतेयश्च गरुत्मान् विनतासुतः पक्षिणां पतत्रिणाम्।।

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।10.30।। दैत्योंमें प्रह्लाद और गणना करनेवालोंमें काल मैं हूँ । पशुओंमें सिंह और पक्षियोंमें गरुड मैं हूँ।

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।10.30।। मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों में काल हूँ, मैं 'पशुओं' में सिंह (मृगेन्द्र) और पक्षियों में गरुड़ हूँ।।