श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर।

द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम।।11.3।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।11.3।।हे परमेश्वर आप अपनेको जिस प्रकारसे बतलाते हैं? आप ठीक वैसे ही हैं अन्यथा नहीं। तथापि हे पुरुषोत्तम ज्ञान? ऐश्वर्य? शक्ति? बल? वीर्य और तेजसे युक्त आपके ऐश्वर्यमय वैष्णवरूपको मैं देखना चाहता हूँ।

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

।।11.3।। --,एवमेतत् नान्यथा यथा येन प्रकारेण आत्थ कथयसि त्वम् आत्मानं परमेश्वर। तथापि द्रष्टुमिच्छामि ते तव ज्ञानैश्वर्यशक्तिबलवीर्यतेजोभिः संपन्नम् ऐश्वरं वैष्णवं रूपं पुरुषोत्तम।।

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।11.3।। हे पुरुषोत्तम ! आप अपने-आपको जैसा कहते हैं, यह वास्तवमें ऐसा ही है। हे परमेश्वर ! आपके ईश्वर-सम्बन्धी रूपको मैं देखना चाहता हूँ।

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।11.3।। हे परमेश्वर ! आप अपने को जैसा कहते हो, यह ठीक ऐसा ही है। (परन्तु) हे पुरुषोत्तम ! मैं आपके ईश्वरीय रूप को प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ।।