राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम्।
केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः।।18.76।।
श्रीमद् भगवद्गीता
मूल श्लोकः
Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka
।।18.76।।हे राजन् धृतराष्ट्र केशव और अर्जुनके इस ( परम ) पवित्र -- सुननेमात्रसे पापोंका नाश करनेवाले? अद्भुत संवादको सुनकर और बारम्बार स्मरण करके? मैं प्रतिक्षण बारम्बार हर्षित हो रहा हूँ।