श्री भगवानुवाच
पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च।।11.5।।
श्रीमद् भगवद्गीता
मूल श्लोकः
Hindi Translation By Swami Tejomayananda
।।11.5।। श्रीभगवान् ने कहा -- हे पार्थ ! मेरे सैकड़ों तथा सहस्रों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृति वाले दिव्य रूपों को देखो।।