श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्।

झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी।।10.31।।

 

Hindi Commentary By Swami Chinmayananda

।।10.31।। मैं पवित्र कर्त्ताओं में वायु हूँ किसी स्थान की स्वच्छता के लिए सूर्य और वायु के समान प्रभावशाली अन्य कोई स्वास्थयकर और अपूतिक (घाव को सड़ने से रोकने वाली औषधि) साधऩ उपलब्ध नहीं है। यदि यहाँ केवल वायु का ही उल्लेख किया गया है? तो उसका कारण यह है कि महर्षि व्यास जानते थे कि सूर्य की उष्णता में ही वायु की गति हो सकती है। जहाँ सदा वायु बहती है? वहाँ सूर्य का होना भी सिद्ध होता है। किसी गुफा में न सूर्य का प्रकाश होता है और न वायु का स्पन्दन।मैं शस्त्रधारियों में राम हूँ भारत के आदि कवि महर्षि बाल्मीकि ने एक सम्पूर्ण काव्य की छन्दबद्ध रचना के लिए रामायण के नायक मर्यादापुरुषोत्तम भगवान् श्री रामचन्द्र का चित्रण किया है। यह चित्रण अत्यन्त विस्तृत एवं विशुद्ध है? जिसमें श्री राम को जीवन के समस्त क्षेत्रों में एक पूर्ण पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है। श्रीराम एक पूर्ण एवं आदर्श पुत्र? पति? भ्राता? मित्र? योद्धा? गुरु? शासक और पिता थे। सामान्य जनता के दोषों तथा अत्यन्त उत्तेजना और भ्रम उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में श्रीराम की सार्वपाक्षिक पूर्णता और भी अधिक चमक उठती है। ऐसे सर्वश्रेष्ठ आदर्श पुरुष के हाथ में ही वह योग्यता है? जो उस धनुष को धारण करे? जिसमें से सदैव अमोघ बाणों की ही वर्षा होती है।मैं मत्स्यों में मकर तथा नदियों में जाह्नवी हूँ जह्नु ऋषि की पुत्री जाह्नवी कहलाती है? जो गंगानदी का एक नाम हैं। आख्यायिका यह है कि एक बार जह्नु ऋषि ने सम्पूर्ण गंगा नदी का पान कर उसे सुखा दिया? और तत्पश्चात्? लोककल्याण के लिए उसे अपने कानों के द्वार से बाहर बहा दिया हम पहले भी देख चुके हैं कि गंगा नदी का यह रूप सांकेतिक है। हिन्दू लोग गंगा को अध्यात्म ज्ञान अथवा भारत की आध्यात्मिक संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। अपने गुरु से प्राप्त ऋषियों की ज्ञान सम्पदा को? साधक शिष्य ध्यानाभ्यास के द्वारा आत्मसात् कर लेता है यही नदी का आचमन है। ज्ञान के झरने से पान कर ज्ञानपिपासा को शान्त करना आदि वाक्यों का प्रयोग प्राय सभी भाषाओं में होता है? जिनका मूल संस्कृत भाषा है।आख्यायिका में कहा गया है कि इस नदी का उद्गम ऋषि के कानों से हुआ। वास्तव में? यह अत्यन्त सुन्दर काव्यात्मक कल्पना है? जो कान का संबंध श्रुति से स्थापित करती है। उपनिषद् ही श्रुति हैं? जिसमें गुरु शिष्य के संवाद द्वारा आत्मज्ञान का बोध कराया गया है। भारत में? समयसमय पर आचार्यों का अवतरण होता है? जो अपने युग के सन्दर्भ से प्राचीन ज्ञान की पुर्नव्यवस्था करते हैं परन्तु यह प्रचार कार्य वे तभी प्रारम्भ करते हैं? जब उन्होंने स्वयं वैदिक सत्य का साक्षात् अनुभव कर लिया हो। इस स्वानुभूति के बिना कोई भी श्रेष्ठ आचार्य जगत् में आकर इस प्राचीन सत्य का नवीन भाषा में प्रचार करने का साहस नहीं करेगा।गंगा के अनेक पर्यायवाची नामों में से जाह्नवी का यहाँ उल्लेख उपर्युक्त विशेष अभिप्राय को दर्शाने के लिए ही किया गया है।समुद्री मत्स्यों में मकर सर्वाधिक भयंकर होने के कारण यहाँ भगवान् ने उसे अपनी विभूति कहा है।आगे कहते है

English Translation By Swami Gambirananda

10.31 Of the purifiers I am air; among the wielders of weapons I am Rama. Among fishes, too, I am the shark; I am Ganga among rivers.

English Translation By Swami Sivananda

10.31 Among the purifiers (or the speeders) I am the wind; Rama among the warriors am I; among the fishes I am the shark; among the streams I am the Ganga.