श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

अर्जुन उवाच

स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव।

स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।2.54।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।2.54।।प्रश्नके कारणको पाकर समाधिप्रज्ञाको प्राप्त हुए पुरुषके लक्षण जाननेकी इच्छासे अर्जुन बोला

जिसकी बुद्धि इस प्रकार प्रतिष्ठित हो गयी है कि मैं परब्रह्म परमात्मा ही हूँ वह स्थितप्रज्ञ है। हे केशव ऐसे समाधिमें स्थित हुए स्थितप्रज्ञ पुरुषकी क्या भाषा होती है यानी वह अन्य पुरुषोंद्वारा किस प्रकार किन लक्षणोंसे बतलाया जाता है
तथा वह स्थितप्रज्ञ पुरुष स्वयं किस तरह बोलता है कैसे बैठता है और कैसे चलता है अर्थात् उसका बैठना चलना किस तरहका होता है
इस प्रकार इस श्लोकसे अर्जुन स्थितप्रज्ञ पुरुषके लक्षण पूछता है।
जो पहलेसे ही कर्मोंको त्यागकर ज्ञाननिष्ठामें स्थित है और जो कर्मयोगसे ( ज्ञाननिष्ठाको प्राप्त हुआ है ) उन दोनों प्रकारके स्थितप्रज्ञोंके लक्षण और साधन प्रजहाति इत्यादि श्लोकसे लेकर अध्यायकी समाप्तिपर्यन्त कहे जाते हैं।
अध्यात्मशास्त्रमें सभी जगह कृतार्थ पुरुषके जो लक्षण होते हैं वे ही यत्नद्वारा साध्य होनेके कारण ( दूसरोंके लिये ) साधनरूपसे उपदेश किये जाते हैं। जो यत्नसाध्य साधन होते हैं वे ही ( सिद्ध पुरुषके स्वाभाविक ) लक्षण होते हैं।



Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

।।2.54।।

स्थिता प्रतिष्ठिता अहमस्मि परं ब्रह्म इति प्रज्ञा यस्य सः स्थितप्रज्ञः तस्य  स्थितप्रज्ञस्य का भाषा  किं भाषणं वचनं कथमसौ परैर्भाष्यते  समाधिस्थस्य  समाधौ स्थितस्य हे  केशव। स्थितधीः  स्थितप्रज्ञः स्वयं वा  किं प्रभाषेत।   किम् आसीत व्रजेत किम्  आसनं व्रजनं वा तस्य कथमित्यर्थः। स्थितप्रज्ञस्य लक्षणमनेन श्लोकेन पृच्छ्यते।।
यो ह्यादित एव संन्यस्य कर्माणि ज्ञानयोगनिष्ठायां प्रवृत्तः यश्च कर्मयोगेन तयोः प्रजहाति इत्यारभ्य आ अध्यायपरिसमाप्तेः स्थितप्रज्ञलक्षणं साधनं चोपदिश्यते। सर्वत्रैव हि अध्यात्मशास्त्रे कृतार्थलक्षणानि यानि तान्येव साधनानि उपदिश्यन्ते यत्नसाध्यत्वात्। यानि यत्नसाध्यानि साधनानि लक्षणानि च भवन्ति तानि श्रीभगवानुवाच

श्रीभगवानुवाच

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।2.54।। अर्जुन बोले - हे केशव ! परमात्मामें स्थित स्थिर बुद्धिवाले मनुष्यके क्या लक्षण होते हैं? वह स्थिर बुद्धिवाला मनुष्य कैसे बोलता है, कैसे बैठता है और कैसे चलता है?
 

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।2.54।। अर्जुन ने कहा -- हे केशव समाधि में स्थित स्थिर बुद्धि वाले पुरुष का क्या लक्षण है स्थिर बुद्धि पुरुष कैसे बोलता है कैसे बैठता है कैसे चलता है