AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


नाहं तत्त्वं समं तत्त्वं कल्पनाहेतुवर्जितम्।

ग्राह्यग्राहकनिर्मुक्तं स्वसंवेद्यं कथं भवेत्।।28।।