श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः।

सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्।।1.13।।

 

English Commentary By Swami Sivananda

1.13 ततः then शङ्खाः conches? च and? भेर्यः kettledrums? च and? पणवानकगोमुखाः tabors? drums and cowhorns? सहसा एव ite suddenly? अभ्यहन्यन्त blared forth? सः that? शब्दः sound? तुमुलः tremendous? अभवत् was.No Commentary.

Hindi Commentary By Swami Chinmayananda

।।1.13।। निसंदेह सभी योद्धागण अत्यधिक तनाव में थे परन्तु जैसे ही उन्होंने शंखनाद सुना सबने अपनाअपना शंख उठाकर शंखध्वनि की। उसके बाद युद्ध के वाद्य शंख भेरी नगाड़े आदि युद्ध की घोषणा के रूप में बजने लगे। संजय इस कोलाहल का वर्णन तुमुलध्वनि हुई इस प्रकार करता है। परन्तु आगे प्रत्युत्तर में हुई पाण्डवों की शंखध्वनि का वर्णन करते हुए कहता है कि वह शब्द इतना भयंकर था कि आकाश और पृथ्वी उससे गूँजने लगे और कौरवों के हृदय विदीर्ण होने लगे। इस वर्णन से स्पष्ट होता है कि संजय दुर्योधन के इस कार्य का विरोधी था। अत हम पूर्ण विश्वास के साथ उसके द्वारा वर्णित युद्धभूमि में दिये गये भगवान् श्रीकृष्ण के उपदेश को स्वीकार कर सकते हैं।

English Translation By Swami Sivananda

1.13. Then (following Bhishma), conches and kettledrums, tabors, drums and cow horns blared forth ite suddenly (from the Kaurava side) and the sound was tremendous.