श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ।

माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।।

 

English Commentary By Swami Sivananda

1.14 ततः then, श्वेतैः (with) white, हयैः horses, युक्ते yoked, महति magnificent, स्यन्दने in the chariot, स्थितौ seated, माधवः Madhava, पाण्डवः Pandava, the son of Pandu, च and, एव also, दिव्यौ divine, शङ्खौ conches, प्रदध्मतुः blew.

Commentary:
No Commentary.

Hindi Commentary By Swami Chinmayananda

।।1.14।। तथ्य अत्यन्त साधारण है कि कौरवों की शंखध्वनि का उत्तर भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन ने शंखनाद करके दिया परन्तु संजय ने जिस सुन्दरता और उदारता के साथ इसका वर्णन किया है वह इस बात का स्पष्ट सूचक है कि उसकी सहानुभूति किस पक्ष के साथ थी। वह कहता है श्वेत अश्वों से युक्त भव्य रथ में बैठे माधव और अर्जुन ने अपने दिव्य शंख बजाये। इस वर्णन से ज्ञात होता है कि संजय के मन में कहीं कोई आशा अटकी है कि संभवत दोनों पक्षों के शंखनाद के वर्णनों में विरोध देखकर इस समय भी धृतराष्ट्र अपने पुत्रों को युद्ध से विरत कर लें।

English Translation By Swami Sivananda

1.14. Then, also, Madhava (Krishna) and the son of Pandu (Arjuna), seated in the magnificent chariot, yoked with white horses, blew divine conches.