श्री भगवानुवाच
भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया।।10.1।।
श्रीमद् भगवद्गीता
मूल श्लोकः
Sanskrit Commentary By Sri Ramanuja
।।10.1।।श्री भगवानुवाच -- मम माहात्म्यं श्रुत्वा प्रीयमाणाय ते मद्भक्त्युत्पत्तिविवृद्धिरूपहितकामनाय भूयः मन्माहात्म्यप्रपञ्चविषयम् एव परमं वचो यद् वक्ष्यामि तद् अवहितमनाः श्रृणु।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।10.1।। श्रीभगवान् बोले -- हे महाबाहो अर्जुन ! मेरे परम वचनको तुम फिर भी सुनो, जिसे मैं तुम्हारे हितकी कामनासे कहूँगा; क्योंकि तुम मेरेमें अत्यन्त प्रेम रखते हो।