मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।8.15।।
श्रीमद् भगवद्गीता
मूल श्लोकः
Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka
।।8.15।।आपके सुलभ हो जानेसे क्या होगा इसपर कहते हैं कि मेरी सुलभ प्राप्तिसे जो होता है वह सुन --, मुझ ईश्वरको पाकर अर्थात् मेरे भावको प्राप्त करके फिर ( वे महापुरुष ) पुनर्जन्मको नहीं पाते। किस प्रकारके पुनर्जन्मको नहीं पाते यह स्पष्ट करनेके लिये उसके विशेषण बतलाते हैं -- आध्यात्मिक आदि तीनों प्रकारके दुःखोंका जो स्थान -- आधार है अर्थात् समस्त दुःख जिसमें रहते हैं केवल दुःखोंका स्थान ही नहीं जो अशाश्वत भी है अर्थात् जिसका स्वरूप स्थिर नहीं है ऐसे पुनर्जन्मको मोक्षरूप परम श्रेष्ठ सिद्धिको प्राप्त हुए महात्मा -- संन्यासीगण नहीं पाते। परंतु जो मुझे प्राप्त नहीं होते वे फिर संसारमें आते हैं।