श्रीमद् भगवद्गीता

मूल श्लोकः

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्।

पितृ़णामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्।।10.29।।

 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka

।।10.29।।नागोंके नाना भेदोंमें मैं अनन्त हूँ अर्थात् नागराज शेष हूँ और जलसम्बन्धी देवोंमें उनका राजा वरुण मैं हूँ। मैं पितरोंमें अर्यमा नामक पितृराज हूँ और शासन करनेवालोंमें यमराज हूँ।

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya

।।10.29।। --,अनन्तश्च अस्मि नागानां नागविशेषाणां नागराजश्च अस्मि। वरुणो यादसाम् अहम् अब्देवतानां राजा अहम्। पितृ़णाम् अर्यमा नाम पितृराजश् अस्मि। यमः संयमतां संयमनं कुर्वताम् अहम्।।

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas

।।10.29।। नागोंमें अनन्त (शेषनाग) और जल-जन्तुओंका अधिपति वरुण मैं हूँ। पितरोंमें अर्यमा और शासन करनेवालोंमें यमराज मैं हूँ।

Hindi Translation By Swami Tejomayananda

।।10.29।। मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) हूँ और जल देवताओं में वरुण हूँ; मैं पितरों में अर्यमा हँ और नियमन करने वालों में यम हूँ।।